बड़वानी ट्रैप की कार्यवाही – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के मामलों पर अंकुश लगाने के दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत उलट है। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले का मामला सामने आया है, जहां जनपद पंचायत के सीईओ को पांच लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त की टीम ने ट्रैप किया है। अपने ही अधीनस्थ एक सहायक सचिव को सीईओ ने मनरेगा में ठीक से काम न करने के चलते कारण बताओ नोटिस जारी किया था। पद से हटाने और मामला दर्ज करवाने की धमकी दी थी। इसके एवज में पांच लाख रुपये मांगे गए थे। मंगलवार को लोकायुक्त टीम ने सीईओ के सहयोगी अकाउंटेंट की गाड़ी से रुपये जब्त कर ट्रैप किया है।
बड़वानी जिले की सेंधवा जनपद पंचायत के सीईओ रविकांत उईके को मंगलवार को लोकायुक्त पुलिस ने उनके कार्यालय से पांच लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया है। ग्राम पंचायत अंजनगांव के प्रभारी सचिव सुनील ब्राह्मणे से मनरेगा के अंतर्गत ग्राम जुलवानिया में स्कूल की बाउंड्री वॉल निर्माण के कार्य का निरीक्षण करने के बाद सीईओ ने कहा था कि बाउंड्री वॉल का निर्माण स्वीकृत राशि के अनुसार नहीं किया गया है। इसके बाद सुनील के खिलाफ मनरेगा एक्ट की धारा 92 का प्रकरण एवं रिपोर्ट दर्ज नहीं कराने के बदले में पांच लाख रुपये की मांग की गई थी। आरोपी सीईओ उइके के खिलाफ धारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा सात के तहत कार्यवाही करते हुए लोकायुक्त की टीम जांच कर रही है।
यह था पूरा मामला
लोकायुक्त इंदौर के डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल ने बताया कि सहायक सचिव सुनील ब्राह्मणे अंजनगांव ग्राम पंचायत में प्रभारी सचिव हैं। उनके पास लवानी पंचायत में सहायक सचिव का प्रभार है। उन्होंने लोकायुक्त को शिकायत की थी कि सीईओ उन्हें पैसे देने के लिए धमका रहा है। जनपद पंचायत के सीईओ रविकांत उईके ने इनकी पंचायत में मनरेगा से संबंधित कुछ कार्यों में अनियमितता के आरोप लगाए थे। कार्य पूर्ण नहीं करने का मामला बताते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। पद से हटाने और एफआईआर दर्ज करने की धमकी दे रहे थे। शिकायत में कहा गया था कि यदि पांच लाख रुपये दिए तो कार्रवाई नहीं होगी।
इस तरह किया गया ट्रैप
लोकायुक्त डीएसपी बघेल ने बताया कि सहायक सचिव सुनील की शिकायत का सत्यापन करने पर जनपद पंचायत के सीईओ की पांच लाख रुपये मांगे जाने की मांग सही पाई गई। ट्रैप दल का गठन करते हुए जनपद पंचायत सीईओ रविकांत उईके को रंगे हाथों पकड़ा गया। पैसे इन्होंने अपने अकाउंटेंट पंवार की गाड़ी में रखवा दिए थे। उसे जब्त किया गया है। अकाउंटेंट को आरोपी बनाने के साथ ही आवेदक ने पांच लाख रुपये की व्यवस्था कहां से की, इसकी जांच की जा रही है।