Damoh: नौरादेही और दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर बन रहे टाइगर रिवर्ज में दमोह का एक भी गांव नहीं होगा विस्थापित

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: अरविंद कुमार Updated Thu, 28 Sep 2023 03: 52 PM IST

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बुंदेलखंड में एक और टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है और प्रदेश सरकार से इसकी मंजूरी भी मिल गई है। नौरादेही और रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व बनाया जा रहा है। इस नए टाइगर रिजर्व में दमोह जिले का एक भी गांव विस्थापित नहीं होगा। यह जानकारी दमोह डीएफओ ने दी है, ताकि ग्रामीण किसी प्रकार से भयभीत न हों। बुंदेलखंड में बनेगा टाइगर रिजर्व – फोटो : अमर उजाला

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नौरादेही अभयारण्य की स्थापना साल 1975 में की गई थी। यह करीब 1200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। इसमें बड़ी संख्या में वन्यजीव हैं, जिनमें तेंदुआ मुख्य हैं। एक समय यहां बाघ भी पाए जाते थे, लेकिन संरक्षण नहीं मिलने के कारण वे लुप्त हो गए थे। इसके बाद बाघों की संख्या बढ़ाने के तहत साल 2018 में नौरादेही अभयारण्य में नए बाघ और बाघिन को छोड़ा गया था। 

वर्तमान में नौरादेही में 15 बाघ हैं और 22 तेंदुआ हैं। इसके अलावा चिंकारा, हिरण, नीलगाय, सियार, भेड़िया, लकड़बग्घा, जंगली कुत्ता, रीछ, मगर, सांभर, मोर, चीतल समेत कई अन्य वन्य जीव इस क्षेत्र में पाए जाते हैं। वन विभाग इनके संरक्षण का काम करता है। इसके आलवा रानी दुर्गावती अभ्यारण में तेंदुआ, भालू, नील गाय, चीतल हैं। इस अभयारण्य में अभी तक बाघ होने की पुष्टि नहीं हुई है।

नए टाइगर रिजर्व की मंजूरी मिलने के बाद अब बैठकों का दौर शुरू हो गया है और कुछ ही दिनों में अलग-अलग वनकर्मियों की पदस्थापना शुरू हो जाएगी। सागर, दमोह, नरसिंहपुर जिले में फैले नौरादेही अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से मंजूरी के तीन महीने बाद सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसका नाम भी बदला गया है। अब इसका नया नाम वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व होगा। इसमें सागर, दमोह, नरसिंहपुर जिले के करीब 1,41,400 हेक्टेयर वन क्षेत्र को शामिल किया गया है।

झलौन रेंज का बदल सकता है नाम

नौरादेही और रानी दुर्गावती अभयारण्य के एक होने के बाद टाइगर रिजर्व बनाया जा रहा है। इसमें तेंदूखेड़ा उपवनमंडल के अंतर्गत चार रेंज हैं, जिनमें झलौन, तेंदूखेड़ा, तारादेही और तेजगढ़ इन सभी रेंजों का जंगली क्षेत्र का कुछ कुछ भाग गया है। लेकिन झलौन रेंज के अंतर्गत नौ वीट अभी तक आती थी, जिनमें से छह वीट टाइगर रिजर्व में चली गई है। इससे अनुमान ये लगाया जा रहा है कि झलौन रेंज अब सामान्य वन से टाइगर रिजर्व की रेंज बन सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, झलौन रेंज से ससना, ससना खुर्द, बिसानाखेड़ी, सेहरी, डुकरसता के आलवा एक वीट और है जो टाइगर रिजर्व में चली गई है।


2339 वर्ग किमी हो सकता है एरिया

एनटीसी से नौरादेही व रानी दुर्गावती वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को नए टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरी मिलने के बाद अब इसके कुल एरिया, बाघों की संख्या आदि के बारे में चर्चा चल रही है। सूत्रों के अनुसार, नौरादेही और रानी दुर्गावती वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से मिलकर बनने इस टाइगर रिजर्व का एरिया 2339 वर्ग किलोमीटर अथवा इससे अधिक हो सकता है। इतने एरिया में दर्जनों बाघ आसानी से रह सकते हैं।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

नए टाइगर रिजर्व से बाघों की वंश वृद्धि और बेहतर तरीके से होगी। इसके साथ ही रिजर्व क्षेत्र में पर्यटन को लेकर भी व्यवस्थाएं की जाएंगी। वर्तमान में नौरादेही के कुछ एरिया में ही पर्यटन सुविधा है। जहां न के बराबर सैलानी पहुंचते हैं। वहीं, नए एवं विशालकाय टाइगर रिजर्व से दमोह, जबलपुर, सागर और नरसिंहपुर सभी जिलों में पर्यटन को लेकर काम किया जाएगा, जिससे सैलानियों की संख्या बड़ने पर पर्यटन को रफ्तार मिलेगी। सबसे बड़ी बात विदेशी सैलानियों को टाइगर रिजर्व पहुंचने मे आसानी होगी, क्योंकि जबलपुर हवाई अड्डा करीब है। 

दमोह डीएफओ महेंद्र सिंह उइके ने बताया है कि रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के लिए जो निर्धारित क्षेत्र तय हुआ है, इसमें जिले का एक भी गांव विस्थापित नहीं किया जाएगा। क्योंकि जो एरिया रिजर्व में लिया गया है, उसमें किसी भी गांव में विस्थापन की परिस्थितियां निर्मित नहीं होंगी। उन्होंने बताया कि कोर एरिया की सीमाएं भी तय हो चुकी हैं। रानी दुर्गावती अभयारण्य व नौरादेही अभयारण्य मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाया जा रहा है, जिसकी मंजूरी मिल गई है।

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