स्कूल जाने वाले मार्ग में जमा कीचड़ – फोटो : अमर उजाला
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दमोह जिले में पथरिया ब्लॉक के सूखा गांव में बच्चों को स्कूल तक जाने के लिए घुटनों तक कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। हर साल बारिश के दिनों में इसी प्रकार के हालात बनते हैं। लेकिन स्थाई समाधान आज तक नहीं हो पाया। प्राचार्य का कहना है कि वह कई बार अधिकारियों को लिखकर समस्या बता चुके हैं।
जानकारी के अनुसार, ग्राम सूखा में शासकीय हाईस्कूल तो बना दिया गया। लेकिन बच्चों को वहां तक पहुंचने पक्का मार्ग नहीं बनाया गया। छात्रों को कच्चे रास्ते से जाना पड़ रहा है। स्कूल में करीब पांच गांव के बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। बारिश के मौसम में पुलिया को पार करना पड़ता है। न तो छात्रों के लिए स्कूल में पीने के पानी की सुविधा है और न ही खेल ग्राउंड और न ही बाउंड्रीवॉल है।
खेत में बना दिया हाईस्कूल
बता दें कि यह स्कूल गांव के बाहर करीब एक किलोमीटर दूर खेत में बना हुआ है। सीमांकन न होने से बाउंड्री बाल और खेल ग्राउंड तक नहीं बन सका है। यहां पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं है। बच्चे बरसात के समय कीचड़ में परेशान होते हुए गिरते उठते स्कूल पहुंचते हैं। दसवीं की छात्रा हेमलता कुर्मी ने बताया कि स्कूल आने-जाने के लिए सड़क नहीं है। खेतों से होकर वहां जाना होता है। बारिश के दिनों में नाला पार करने में भी परेशानी होती है। अगर सड़क बन जाए और पुलिया दुरुस्त हो जाए तो आने-जाने में आसानी होगी। छात्र जीवन पटेल ने बताया कि स्कूल तक पहुंचने में रास्ता बहुत ही खराब है। कच्चा रास्ता होने से पानी भर जाता है और पूरे में कीचड़ हो जाता है, जिससे आवागमन कठिन होता है। सिर्फ बच्चों के अभिभावक ही नहीं, बल्कि स्कूल के शिक्षक भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
कम हो रही छात्रों की दर्ज संख्या
रास्ता न होने की समस्या की चलते लगातार छात्रों की दर्ज संख्या कम होती जा रही है। स्कूल प्राचार्य दलपत सिंह लोधी ने बताया कि स्कूल तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है। न ही स्कूल परिसर में बाउंड्री है, जिससे काफी समस्या होती है। इसी कारण से बच्चों की दर्ज संख्या भी पिछले चार-पांच वर्षों में लगातार कम हुई है। बरसात में परेशानी होती है, यहां तक कोई वाहन नहीं पहुंच पाता है, जूते भी हाथ में लेकर स्कूल आते हैं।
इस संबंध में कलेक्टर और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को लिखित में भी अवगत करा दिया है। शिक्षा विभाग का कहना है कि पंचायत का मामला है। इसलिए सड़क का निर्माण भी पंचायत ही कर सकती है। रास्ते में निजी भूमि पड़ती है, जिसके कारण रास्ता नहीं बन पा रहा है।