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पूरे तीन घंटे मंच से सुरों के झरने में पुराने नगमें बरसते रहे अौर श्रोता उनमें भीग कर खुद की जिंदगी के किस्से शब्दों में खोजते रहे। तरुण मंच, महाराष्ट्र ब्राम्हण समाज, वैशाली नगर ब्राम्हण समाज की अगुवाई में कलाकारों ने हर रंग के गीत गाए। राजेंद्र नगर में हुई संगीत निशा – फोटो : amar ujala digital
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बहुत कम जाजमों पर ऐसे श्रौता मिलते है अधीर मन जले मोरा…या मधुबन में राधिका नाचे रे.. जैसे गीतों पर वनस मोर करे। यह राजेंद्र नगर सार्वजनिक गणेशोत्सव में ही संभव है। सिद्ध विनायक गणपति मंदिर के परिसर में कुल जमा छह सात सौ कुुर्सियां लगी थी जो दर्शकों से भर चुकी थी। जो देर से आए वो जमीन पर आलथी पालथी मार कर बैठे। पूरे तीन घंटे मंच से सुरों के झरने में पुराने नगमें बरसते रहे और श्रोता उनमें भीग कर खुद की जिंदगी के किस्से शब्दों में खोजते रहे। तरुण मंच, महाराष्ट्र ब्राम्हण समाज, वैशाली नगर ब्राम्हण समाज की अगुवाई में मुबंई के कलाकार ऋषिकेश रानाड़े,जयदीप बड़गांवकर ने हर रंग के गीत गुनगुनाए।
शुरूआत चौहदवीं का चांद हो गीत से हुई। इसी मिजाज के गीत आपके हसीन रुख से…गाकर गायकों ने श्रोतागणों के फ्लेवर समझा। जब तालियां और स्टैडिंग अेाविएशन कलाकारों को मिला तो फिर वे अपने रंग में आ गए। नवोदित कलाकार हर्षवर्धन नाडकर ने तेरी आंखों के सिवा दुनिया में गीत गाकर दाद बटोरी। गायिका निष्ठा केशव और मोना शेवड़े ने भी लता और आशा के गीत पेश किए। इस कार्यक्रम में रफी, मुकेश और किशोर कुमार के कालजयी गीत सुनने को मिले।
बीच-बीच में संचालनकर्ता संजय पटेल गीतों से जुड़े रोचक किस्से सुनाकर श्रोतागणों के संगीत ज्ञान को बढ़ा रहे थे। तीन घंटे के बाद जब संगीत निशा अंतिम पायदान की तरफ जा रही थी और परिसर फिर भी भरा था तो गायक जयदीप को कहना पड़ा कि इस तरह के श्रोतागणों के लिए ही कलाकार तरसता है। हमसे ज्यादातर महफिलों में तड़क भड़क के गीतों की डिमांड की जाती है। ऋषिकेश ने मराठी गीत कधी तू, रिमझिम झरणारी बरसात…भी गाकर समां बांध दिया।