court new – फोटो : अमर उजाला
विस्तार Follow Us
मप्र हाईकोर्ट के कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े मामले में प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा वर्चुअली हाजिर हुईं। उन्होंने अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि सरकार की मंशा कोर्ट के आदेश का पालन करने की है। सुनवाई के बाद एक्टिंग चीफ जस्टिस शील नागू व जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की युगलीपीठ ने मुख्य सचिव पर अवमानना के आरोप तय करने के संबंध में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिर कब तक आदेश पालन का इंतजार किया जाएगा। यह मामला कई वर्षों से लंबित है, इसलिए अब और मोहलत नहीं दी जा सकती।
गौरतलब है कि बुधवार को हाईकोर्ट ने एडीशनल एडवोकेट जनरल को निर्देश दिए थे कि 4 जुलाई को दोपहर ढाई बजे मुख्य सचिव को वर्चुअली हाजिर कराएं। न्यायालय ने कहा था कि दो साल पहले अंतिम रिपोर्ट पेश होने के बाद भी सरकार नींद से नहीं जागी। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े मामले के लिए बनी विशेष कमेटी की रिपोर्ट 21 मई 2022 को सरकार ने सीलबंद लिफाफे में पेश की थी। इसके पहले कोर्ट के आदेशों के परिपालन का रास्ता निकालने एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, विधि एवं विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव और एडीशनल चीफ सेक्रेटरी शामिल थे।
यह था मामला
गौरतलब है कि हाईकोर्ट कर्मी किशन पिल्लई सहित 109 कर्मचारियों ने याचिका दायर कर उच्च वेतनमान और भत्ते देने के लिए 2016 में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने 2017 में राज्य सरकार को आदेश जारी किए थे। पालन नहीं होने पर 2018 में अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई। पूर्व में चीफ जस्टिस ने हाईकोर्ट कर्मचारियों के लिए उच्च वेतनमान की सिफारिश की थी। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कंपलायंस रिपोर्ट पेश कर बताया कि यदि उक्त अनुशंसा को मान लिया जाएगा तो सचिवालय एवं अन्य विभागों में कार्यरत कर्मियों से भेदभाव होगा और वे भी उच्च वेतनमान की मांग करेंगे। इसलिए कैबिनेट ने अनुशंसा को अस्वीकर कर दिया है।