न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Wed, 27 Sep 2023 02: 18 PM IST
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए इंदौर की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-1 से से टिकट मिला है। कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार को बड़ा गणपति की पूजा-अर्चना कर अपने अभियान की शुरुआत की। पहली ही सभा में उन्होंने यह कहकर सबको चौंका दिया कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। वे अंदर से खुश नहीं हैं। वे अब जनता के हाथ नहीं जोड़ना चाहते।
उनके इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस ने उनके बयान पर प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने कहा कि कैलाश के अंदर इतना अहंकार है कि जिस जनता ने उन्हें कैलाश से कैलाश जी बनाया, अब वह उस जनता के हाथ तक नहीं जोड़ना चाहते। विजयवर्गीय के बयान के बाद राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि अगर कैलाश चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे तो क्या उन्हें भाजपा संगठन ने उनकी मर्जी के खिलाफ जबरदस्ती टिकट दिया है?
विजयवर्गीय बोले- अंदर से खुश नहीं हूं
भाजपा के बड़े नेता और मुख्यमंत्री पद के तगड़े दावेदार कैलाश विजयवर्गीय ने सभा में कहा कि मैं अंदर से खुश नहीं हूं। सच कह रहा हूं। मेरी चुनाव लड़ने की इच्छा ही नहीं थी। एक माइंडसेट होता है न लड़ने का… मुझे अभी भी विश्वास नहीं है कि मुझे टिकट मिल गया और मैं उम्मीदवार बन गया। अब हम बड़े नेता हो गए हैं… अब जाना भाषण देना और निकल जाना… यह सोचा था हमने तो… अब हाथ जोड़ने कहां जाएं? हमने तो प्लान बनाया था कि रोज आठ सभा करना है। पांच हेलीकॉप्टर से और तीन कार से। सभा करना है पूरे चुनाव में… विधानसभा एक का चुनाव एक-एक कार्यकर्ता को लड़ना है। आप सभी कैलाश विजयवर्गीय हो और हर एक घर पर आपको दस्तक देना है। कार्यकर्ता क्या चाहता है, यह मैं जानता हूं, क्योंकि मैं एक जमीनी कार्यकर्ता रहा हूं। कार्यकर्ता चाहता है मान और सम्मान।
जनता के हाथ जोड़ने में शर्म, इतना अहंकार
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी में मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कैलाश विजयवर्गीय पर तंज कसा और कहा कि ये हैं BJP के राष्ट्रीय महासचिव जी, जो इंदौर-एक से विधानसभा का टिकिट मिलने से अंदर से खुश नहीं हैं! इनका कहना है इन्हें तो रोज आठ सभाओं में भाषण झाड़ना था, अब बड़े नेता हो गए हैं, अब जनता के हाथ कौन जोड़े! इतना अहंकार कि जिस जनता ने उन्हें कैलाश विजयवर्गीय “जी” बनाया, उनके हाथ जोड़ने में शर्म!
बेटे की बरात लेकर गए थे, खुद दूल्हा बनकर आ गए
केके मिश्रा ने एक और ट्वीट किया जिसमें लिखा कि – भाजपा में प्रत्याशियों की दूसरी सूची…गए थे बेटे की बरात लेकर, खुद दूल्हा बनकर आए… अब दूसरे डर रहे हैं कि बेटे की शादी करें या उसे कुंआरा ही रहने दें?
क्या बेटे का कॅरियर खत्म होने से दुःखी हैं कैलाश?
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि कैलाश राष्ट्रीय राजनीति में जाने के बाद बड़े पद की आस में थे। यह बात खुद उन्होंने मंच से भी कही कि वे अब बड़े नेता हैं। चुनाव नहीं लड़ना चाहते। पिछले विधानसभा चुनाव में बेटे आकाश विजयवर्गीय को विधायक बनाने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगाई। आकाश के पांच साल के कार्यकाल के दौरान भी वे हर वक्त बेटे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। कई मुश्किलों से उसे बचाया। आकाश खुद इस बार भी पूरे दम-खम से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। चूंकि, कैलाश को भाजपा ने टिकट दिया है तो यह लगभग तय है कि बेटे को टिकट नहीं मिलेगा। इससे कैलाश दुःखी हैं। बेटे के राजनीतिक कॅरियर को लेकर पशोपेश में हैं। टिकट मिलने के बाद दिए गए साक्षात्कारों में भी कैलाश ने बेटे के राजनीतिक भविष्य पर चिंता जताई है।