विजयवर्गीय को भी मिला टिकट – फोटो : amar ujala digital
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राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद कैलाश विजयवर्गीय केंद्र की राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे है,लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट देकर संगठन ने उन्हें फिर प्रदेश में सक्रिय रहने का मौका दिया है। एक नंबर विधानसभा क्षेत्र से विजयवर्गीय के उम्मीदवार बनाए जाने के बाद शहर के राजनीतिक समीकरण भी दिलचस्प हो गए है।
उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय तीन नंबर विधानसभा क्षेत्र से विधायक है और इस बार भी टिकट के प्रबल दावेदार है, लेकिन पिता का टिकट तय होने के बाद उनकी दावेदारी पर संशय है,क्योकि संगठन परिवारवाद को बढ़ावा देने से बच सकता है। पिछली बार विजयवर्गीय ने चुनाव नहीं लड़ा था, इस कारण बेटे के आकाश के टिकट की राह आसान हुई थी।
विजयवर्गीय की 15 साल बाद ‘शहर वापसी’ हुई है। 1990 में उन्हें भाजपा ने चार नंबर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया था। इसके बाद वे लगातर तीन बार अपने गृह क्षेत्र दो नंबर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। वर्ष 2008 के चुनाव में संगठन ने उन्हें महू विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था। वर्ष 2014 में वे महू से विधायक रहे, लेकिन पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने लड़ने से इनकार कर दिया था और केंद्र की राजनीति में सक्रिय हो गए थे।
चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई थी
विजयवर्गीय विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर अक्सर यहीं कहते है कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते और अपनी इच्छा संगठन को बता चुके है, लेकिन संगठन ने किसी क्षेत्र की जिम्मेदारी दी तो वे पीछे भी नहीं हटेंगे और संगठन ने उन्हें एक नंबर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बना दिया।