रवि परमार – फोटो : अमर उजाला
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मध्यप्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज महाघोटाला सड़क से लेकर विधानसभा तक गूंज रहा है। अब इस घोटाले की गूंज देश के सर्वोच्च अदालत में भी सुनाई देगी। दरअसल, नर्सिंग कॉलेज घोटाले की शिकायतकर्ता व NSUI नेता रवि परमार ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर ली है।
परमार ने बताया कि नर्सिंग कॉलेज घोटाले में CBI जांच कर रही है। लेकिन फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर कुछ नर्सिंग कॉलेज जांच पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले आए हैं। हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मांग करेंगे कि इन कालेजों की भी सीबीआई से जांच कराई जाना चाहिए, जिससे प्रदेश के समस्त नर्सिंग कॉलेजों की जांच निष्पक्ष हो सकेगी।
अधिवक्ता से मिलकर तैयार की कॉलेज की रिपोर्ट
रवि परमार ने कहा कि हमने हमारे अधिवक्ता के साथ सुप्रीम कोर्ट के स्टे और कालेजों की निरीक्षण रिपोर्ट का परीक्षण कर एक रिपोर्ट तैयार की है। चूंकि, जिन कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगाई थी, उस निरीक्षण रिपोर्ट में भी कई कमियां हैं। उन्हीं कमियों के तथ्यों को हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के सामने रख कर जो सीबीआई जांच पर रोक लगाई है, वो हटाने की मांग करेंगे।
56 नर्सिंग कॉलेज सुप्रीम कोर्ट से ले आए थे स्टे
परमार ने बताया कि अप्रैल 2023 में ग्वालियर हाईकोर्ट ने सीबीआई को 364 नर्सिंग कॉलेज की जांच करने आदेश दिए थे। लेकिन 56 नर्सिंग कॉलेज उसके बाद सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले आए थे। उसके बाद सीबीआई ने 308 नर्सिंग कॉलेजों की जांच कर रिपोर्ट को तीन कैटेगिरी में विभाजित किया था, जिसमें 169 सूटेबल, 73 डिफिसेंट और 66 अनसूटेबल थे। लेकिन सीबीआई ने फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की थी, जिसका भी खुलासा हो चुका है। उसके बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने सीबीआई को पुनः जांच करने के आदेश दिए हैं। परमार ने कहा कि जब मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेज महाघोटाला उजागर हो चुका है तो फिर सभी नर्सिंग कॉलेजों की निष्पक्ष जांच होना चाहिए और जो नर्सिंग कॉलेज सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेकर आए थे, उसको लेकर और नर्सिंग घोटाले में संलिप्त दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
नर्सिंग घोटाले को लेकर सारंग का बंगला घेरने गए कांग्रेसियों पर पुलिस का बल प्रयोग
प्रदेश में हुए नर्सिंग एवं पेपर लीक घोटाले के मामले को लेकर मप्र कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर जिला कांग्रेस कमेटी प्रदर्शन की। सबसे पहले प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के सामने प्रदर्शन शुरू हुआ। इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ता मंत्री विश्वास सारंग का बंगला घेरने पहुंचे। जिला अध्यक्ष प्रवीण सक्सेना ने आरोप लगाया है कि शांति तरीके से प्रदर्शन करने गए हजारों की कांग्रेसियों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया, वॉटर केनन से पानी की बौछार की, जिससे भगदड़ मच गई और कई कांग्रेसियों को इससे चोटें भी आई। पुलिस ने वहां से 15 मिनट के भीतर सबको भगा दिया।
मंत्री सारंग के इस्तीफा की मांग
इस दौरान बड़ी संख्या में मौजूद कांग्रेसी सहकारिता, खेल युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग के इस्तीफे क मांग कर रहे। पुलिस ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से थोड़ी दूर बैरिकेटिंग कर दी थी। जिला कांग्रेस के अध्यक्ष प्रवीण सक्सेना ने बताया कि तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के बंगले का घेराव किया गया और इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया गया है। इसके बाद कलेक्टर को कार्रवाई के लिए ज्ञापन सौंपा गया।
मंत्री का नाम आने के बाद क्यों नहीं लिया जा रहा इस्तीफा
सक्सेना ने कहा है कि मंत्री का नाम घोटाले में आने पर भी उनका इस्तीफा नहीं लिया जा रहा है। कांग्रेस नर्सिंग घोटाले व नीट पेपर लीक मामले में लिप्त सभी लोगों पर कार्रवाई चाहती है। इसको लेकर बीते दिनों रोशपुरा चौराहे पर भी कांग्रेस ने प्रदर्शन किया था। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने केंद्र सरकार से नीट पेपर लीक मामले पर कार्रवाई करने की मांग की थी। अब कांग्रेस हर जिले स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर रही है। मंत्री सारंग के इस्तीफे की मांग कर रही है। जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो जाती है, तब तक कांग्रेस समय-समय पर धरने प्रदर्शन करती रहेगी।
शिक्षा का माफियाओं का घिनौना चेहरा हुआ उजाग
सक्सेना ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार युवाओं के भविष्य को अंधेरे में धकेल रही है। प्रदेश में जिस प्रकार नर्सिंग घोटाले और पेपर लीक घोटाले सामने आ रहे हैं, उससे शिक्षा माफियाओं का घिनौना चेहरा उजागर हुआ है। सत्तारूढ़ मंत्री और सरकार की कठपुतली बने चंद अधिकारियों को फायदा पहुंचाने का कृत्य किया गया।
वहीं, नर्सिंग घोटाला में प्रदेश का व्यापमं की तरह करोड़ों रुपयों का घोटाला सामने आया है। नर्सिंग कालेजों के नाम पर लीपापोती की गई, जहां कॉलेज नहीं वहां कॉलेज बताये गए, सैकड़ों कॉलेज बिना अनुमति के चल रहे हैं। नर्सिंग घोटाले में बड़े-बड़े अधिकारियों के नाम सामने आये हैं। लेकिन सरकार ने चुप्पी साध रखी है। सरकार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करे और तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री के पद से तत्काल बर्खास्त करें।