जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा – फोटो : अमर उजाला
विस्तार मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है। इसके पहले ही आदिवासी वर्ग को साधने को लेकर राजनीतिक दल कवायद कर रहे है। मध्य प्रदेश में जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा ने 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर साफ कहा कि जयस 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस से गठबंधन को लेकर पूछे सवालों पर बेबाकी से जवाब दिया।
सवाल- विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का समय बचा है। जयस की क्या रणनीति है?
डॉ. अलावा- जय आदिवासी युवा संगठन ने जयस युवा मिशन-2023 का नारा दिया है। इस नारे के तहत हमने आदिवासी वर्ग के साथ-साथ अन्य वर्ग को भी जोड़ा है। मांझी समाज, धनगर समाज, मानकर समाज जो ओबीसी वर्ग की पिछड़ी जातियां है, वह भी जयस के साथ जुड़ रही है। हम सभी वर्ग के युवाओं को मध्य प्रदेश की विधानसभा में भेजने के लिए 47 आरक्षित सीट के साथ 80 सीटों पर अपनी जमीन तैयार कर रहे है।
सवाल- जयस की तैयारी चुनाव लड़ने की है, लेकिन पहले ही संगठन में टूट और बिखराव दिख रहा है?
डॉ. अलावा- फुट और बिखराव वाली कोई बात नहीं है। जयस संगठन 2011 में बना और एकजुट है। कुछ लोग जयस के बारे में भ्रम और अफवाह समय-समय पर फैलाते है। जयस 4 साल से विधानसभा में आदिवासी वर्ग के मुद्दों की लड़ाई लड़ रहा है। जयस समाज के बीच में उनके मुद्दों को लेकर खड़ा है। जयस एकजुट था और एकजुट है।
सवाल- बीजेपी जनजाति गौरव दिवस मना आदिवासियों को अपना बता रही, कांग्रेस अपने साथ होने की बात करती है। आप किसके साथ है?
डॉ. अलावा- जयस स्वतंत्र संगठन था, है और रहेगा। भारतीय जनता पार्टी अपनी राजनीति और 2023 में अपनी सरकार बनाने के लिए आदिवासी के नाम का राग रट रही है। लेकिन हकीकत में आदिवासियों को अधिकार भारती जनता पार्टी की सरकार में नहीं मिला है। आज आदिवासी इलाकों में सरकार की कौन सी योजना है जो ग्राउंड पर दिखती है। आज आदिवासी युवा पलायन करके गुजरात, महाराष्ट्र में काम की तलाश में जा रहे हैं। आदिवासी इलाकों में डिग्रियां लेकर युवा बेरोजगार घुम रहे है। आदिवासी लड़कियां गायब हो रही है। क्षेत्रों में कुपोषण और शिक्षा की हालात बदत्तर है। भाजपा ने ऐसा कौन सा काम कर दिया कि आदिवासी वर्ग उस पर विश्वास करें। और वोट दें। जनजातीय गौरव दिवस के नाम पर एकजुट करने का प्रयास जरूर किया, लेकिन सवाल यह है कि आजाद भारत में आदिवासियों को पांचवी अनुसूची के अधिकार अब तक नहीं मिले। कौन से नेता ने 18 सालों में पांचवी अनुसूची पर 18 शब्द बोले हैं। इनको छठवीं अनुसूची से मतलब नहीं है। यह सिर्फ एक प्रोपोगेंडा करते है। भाषण में आदिवासियों का विकास करना चाहते है। ऐसे में आदिवासी समाज अब जागरूक हो गया है। समाज अब गुमराह होने वाला नहीं है।
सवाल- फिर आप कांग्रेस के साथ जाएंगे?
डॉ. अलावा- कांग्रेस के साथ जाएंगे या नहीं जाएंगे यह आने वाला वक्त तय करेगा। जयस का वैचारिक क्रांति का एजेंडा है। वशंवाद वाली राजनीति चली आ रही है। उसको छोड़कर उससे हटकर नए पढ़े लिखे युवाओं को राजनीति में भागीदारी देने की बात और पांचवी अनुसूची से लेकर जंगलों का अधिकार आदिवासियों को देने की बात है। आदिवासियों के लिए आर्थिक विकास की योजनाएं बनाना यह सब एजेंडे कांग्रेस के सामने है। इन मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी कितनी गंभीर है, यह वह तय करेंगी। लेकिन हमारे एजेंडे सबके सामने रख दिए है।
सवाल- आदिवासियों के भीम आर्मी समेत अन्य दल भी हितैषी बन रहे है। जयस के अकेले चुनाव लड़ने से वोटरों को बिखराव नहीं होगा?
डॉ. अलावा- हमने जयस विचारधारा के साथ पार्टी, संगठन, सामाजिक संगठन सभी को एकजुट करने का प्रयास किया है। आदिवासियों के साथ साथ हमारे साथ ओबीसी की पिछड़ी जातियां भी जुड़ रही है। मांझी, धनगर, मानकर, नायक बंजारा जाती भी हमारे साथ जुड़ रही है। कई अनुसूचित जाति वर्ग के संगठन जुड़ रहे हैं। सामान्य वर्ग का बड़ा तबका भी हमारे साथ जुड़ रहा है। हमने सबके साथ बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखे है। लेकिन विचाराधारा हमारी रहेगी।
सवाल- पीएफआई के नेता आदिवासी लोगों को झांसे में लेकर जमीन हड़पने का षड्यंत्र कर रहे है? इस पर क्या कहेंगे?
डॉ. अलावा- देखिए, यह गंभीर विषय है। लेकिन आदिवासियों की जमीनों को आदिवासियों के नाम पर ही खरीदने का षड्यंत्र कई वर्षों से चल रहा है। अनुसूची पांच में साफ है कि आदिवासियों की जमीन कोई गैर व्यक्ति नहीं ले सकता है। यह स्पष्ट प्रावधान है। हमारी सरकार से मांग है कि इस मामले में न्यायिक जांच की जाए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
सवाल- सरकर पेसा एक्ट से ग्राम सभा को सशक्त करने का दावा कर रही है। इस पर आप की राय क्या है?
डॉ. अलावा- 26 साल बाद सरकार ने स्वीकार किया कि पेसा कानून आदिवासियों का कानून है। इसके लिए धन्यवाद देता हूं। लेकिन इस पेसा एक्ट को बहुत कमजोर बना दिया। इस एक्ट में छठवीं अनुसूची का अनुशरण ही नहीं किया गया है। दूसरा ग्राम सभाओं को सशक्त करने की बात कही गई है, लेकिन पेसा नियम 2022 में ग्राम सभाओं को वित्तीय अधिकार देने की बात नहीं की गई है। सरकार संशोधन के साथ कानून लागू करें। तभी यह सही मायने में पेसा एक्ट की मूल परिकल्पना साकार हो पाएगी।
? जयस के ही आनंद राय ने शिवराज सरकार पर आदिवासियों का दमन करने का आरोप लगाया है?
डॉ. अलावा- आनंद राय कोई जयस का लीडर नहीं है। उसे क्यों गिरफ्तार किया? क्या मामला है? इसकी सरकार जांच करें। जयस एक स्वतंत्र संगठन है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए राय 2017 के बाद जुड़ा था। वह चुनाव लड़े। हमे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन जयस के नाम पर राजनीति करें, नेता बने यह हमारे संगठन में हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमें किसी ऐसे सलाहाकार की जरूरत नहीं है, जो आदिवासियों के तानेबाने के साथ छेड़छाड़ करें।
सवाल- चार साल में जयस की उपलब्धी क्या बताएंगे?
डॉ. अलावा- आज सरकार आदिवासियों के लिए जनजातीय गौरव दिवस मनाने पर मजबूर है। आदिवासी टट्या भील को याद करने के लिए मजबूर है। पेसा कानून किसी ना किसी मायने में लाने के लिए मजबूर हुई। यह कहीं ना कहीं जयस की पिछले चार साल की विधानसभा के अंदर और बाहर की लड़ाई का परिणाम है। आज आदिवासी समाज खुद नेतृत्व करना सीख गया है।
? आम आदमी पार्टी और जयस के गठबंधन की कितनी संभावना है?
डॉ. अलावा- आम आदमी पार्टी की अपनी विचारधारा है। आप के साथ जयस के गठबंधन का कोई सवाल ही नहीं है। उनके अपने एजेंडे है। जयस का अपना नेतृत्व और एजेंडा है। जयस आदिवासियों के साथ साथ अन्य वर्गों के हमारे भाईयों की लड़ाई लड़ते आया है।