न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: गुलाम अहमद Updated Fri, 20 Jan 2023 02: 17 PM IST
सार
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पाकिस्तान से वैष्णव संप्रदाय से जुड़े 45 तीर्थयात्री भारत यात्रा पर आए हैं। उन्होंने कहा कि सभी को 13 जनवरी से 25 दिनों तक का वीजा मिला है। इन 25 दिन में हम जितने भी तीर्थ यात्रा कर पाएंगे। वह हमारे लिए बेहतर होगा। समय सीमा में ही हमें अपनी यात्रा पूरी करनी है। भारत आए पाक तीर्थयात्री – फोटो : अमर उजाला
विस्तार पाकिस्तान के कराची से भारत आए 45 तीर्थयात्रियों का समूह मध्यप्रदेश के दमोह पहुंचा है। वैष्णव संप्रदाय के ये लोग यहां सवा लाख मानस पाठ में ठहरे हैं। इन श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें पाकिस्तान में सभी प्रकार की धार्मिक स्वतंत्रता है। कराची में ब्रह्म नारद माधव गोटिया वैष्णव संप्रदाय के महंत कृष्णा किशोर दास ने बताया कि उनकी भारत में रहने की इच्छा नहीं, क्योंकि उनका देश पाकिस्तान बहुत अच्छा है और वे वहां पर बहुत खुश हैं।
पाकिस्तान में महंगाई है, पर मारामारी नहीं…
तीर्थयात्रियों ने कहा कि पाकिस्तान में बहुत महंगाई हो गई है। भगवान से प्रार्थना की है कि जल्द ही कुछ अच्छा हो जाए। उन्होंने कहा कि जैसे दृश्य दिखाए जा रहे हैं, वैसी लूटमार नहीं है। महंत कृष्णा किशोर दास ने कहा कि महंगाई है, यह सच है, इसे बोलने में उन्हें कोई परहेज नहीं, क्योंकि जो सच है उसे बोला जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब भारत के लिए रवाना हुए तो कराची में बहुत महंगाई थी, लेकिन जैसे ही लाहौर पहुंचे, वहां महंगाई बहुत कम थी। ऐसा क्यों है, उन्हें भी समझ नहीं आया।
हमें पूरी धार्मिक स्वतंत्रता…
उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान में कुशल हैं, बहुत खुश हैं। हमें अपने त्योहार मनाने की पूरी आजादी है। होली हो, दीपावली हो, बहुत ही अच्छा माहौल होता है। भारत की तरह इन त्योहारों पर पाकिस्तान में भी उत्सव देखने मिलता है। वहां मुस्लिम भी उनके त्योहारों में साथ खड़े रहते हैं। खास तौर पर नवरात्रि में कराची में भारी धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है। कोई रोक नहीं है। वर्ष 2009 से कराची में जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्रा निकाली जा रही है। 2022 में इस यात्रा को पूरे 13 साल हो गए।
महंत कृष्णा किशोर दास ने कहा, हम भारत घूमने के लिए नहीं आए, क्योंकि घूमने के लिए तो पाकिस्तान में भी बहुत अच्छे स्थान हैं। हम तो यहां तीर्थ यात्रा पर आए हैं, ताकि वृंदावन, हरिद्वार, गया और कई धार्मिक स्थल के दर्शन कर सकें। हम लोग चाह रहे थे कि भगवान बद्रीनाथ जी के दर्शन हो जाएं, लेकिन जब तक वीजा मिला वहां के कपाट बंद हो गए, जिसका दुख भी रहेगा कि भगवान बद्रीनाथ के दर्शन नहीं हो पाए। फिर मकर संक्रांति आ गई तो धार्मिक मान्यता है कि गंगा नदी और दूसरी नदियों में स्नान करने का काफी पुण्य मिलता है, इसलिए उन्होंने हरिद्वार में गंगा स्नान किया।
वृंदावन और जगन्नाथ स्वामी के करेंगे दर्शन
महंत कृष्णा किशोर दास ने बताया कि जब हम पाकिस्तान से रवाना हो रहे थे तो उनके धर्म के लोगों को पता चला कि गया में अपने पूर्वजों का तर्पण किया जाता है इसलिए कई लोगों ने भेंट दी, जिन्हें वे गया ले गए। उन्होंने अपनी शुरुआत अमृतसर में दुर्गाना मंदिर, श्री रामतीरथ से की। गोल्डन टेंपल भी जाना था, लेकिन समय अभाव के कारण नहीं जा पाए। अभी हरिद्वार में दर्शन किए हैं और अब वृंदावन और जगन्नाथ स्वामी के दर्शन करने जाएंगे।
वैष्णव संप्रदाय से जुड़े 45 लोग भारत यात्रा पर आए हैं। उन्होंने कहा कि सभी को 13 जनवरी से 25 दिनों तक का वीजा मिला है। इन 25 दिन में हम जितने भी तीर्थ यात्रा कर पाएंगे। वह हमारे लिए बेहतर होगा। समय सीमा में ही हमें अपनी यात्रा पूरी करनी है।
जैसे कीचड़ में कमल, वैसे हम वैष्णव…
कृष्णा किशोर दास ने बताया कि वैष्णव पंथ संप्रदाय ठीक वैसे ही है जैसे कीचड़ में कमल खिलकर कीचड़ की शोभा बढ़ा देता है, वैसे ही वैष्णो रूपी भक्त पाप जैसे कीचड़ को समाप्त कर देता है। वैष्णव को पतित पावन कहा गया है, जो देश, जाति का काल, संप्रदाय किसी भी चीज में भेदभाव नहीं करते। आज के युग में जिस तरह से पाप बढ़ रहे हैं, उन पापों के नाश के लिए भगवान के प्रति भक्ति का प्रमुख केंद्र वैष्णव ही है। वैष्णो हर किसी में भगवान देखते हैं।
कृष्णा किशोर दास ने कहा कि यहां एकादशी पर लोग मांस मदिरा का सेवन करते हैं। उनका कहना है कि जो सनातनी है वह इन सभी नियमों का पालन करें। त्रिकाल संध्या करें, जप करें, पूजन करें ताकि सभी का कल्याण हो सके। उन्होंने कहा कि हम लोग एकादशी व्रत रखते हैं। मंगलवार को भी उन सभी ने व्रत रखा था और विधि विधान के साथ पूजन किया था। सनातन धर्म से जुड़े सभी लोगों को धार्मिक मान्यताओं को मानना चाहिए।
सोशल मीडिया के माध्यम से आ गए दमोह
45 लोगों के जत्थे का दमोह आना कोई अनायास नहीं है। उन्होंने सोशल मीडिया पर देखा कि दमोह में एक ऐसा स्थान जहां पर सवा लाख बार रामचरितमानस का पाठ किया गया है। उनके मन में इच्छा हुई कि ऐसे सिद्ध स्थान पर जरूर जाना चाहिए, इसलिए उन्होंने यहां के संत श्रीभगवान से संपर्क किया और यहां आ गए। दो दिनों से यहां पर हैं। इस स्थान की पवित्रता और इसकी उर्जा अपने आप उन्हें महसूस हो रही है।
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