मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो) – फोटो : अमर उजाला
विस्तार Follow Us
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेज की सीबीआई जांच के आदेश जारी किए हैं। चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सीबीआई को तीन माह में जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से दायर याचिका में फर्जी तरीके से नर्सिंग कॉलेज संचालित होने को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी, वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागजों पर संचालित हो रहे हैं। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।
याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि एक ही व्यक्ति कई नर्सिंग कॉलेज के प्राचार्य हैं और फैकल्टी भी अगल-अलग कॉलेज में कार्यरत है। जिस कॉलेज में कार्यरत है उनकी दूरी सैकड़ों किलोमीटर दूर है। इसके अलावा माईग्रेट तथा डुप्लीकेट फैक्टली का मामला भी याचिकाकर्ता की तरफ से उठाया गया था। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौंसिल के रजिस्ट्रार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि आदेश के बावजूद भी सरकार ने प्रशासक को हटाकर रजिस्ट्रार को नियुक्त कर दिया है। इसके अलावा पूर्व रजिस्ट्रार के खिलाफ सिर्फ दिखावटी कार्रवाई की गई है। इसके बाद युगलपीठ ने डीएमई को तलब किया था। डीएमई अरुण श्रीवास्तव ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर मांफी मांगते हुए पूर्व रजिस्ट्रार के खिलाफ उचित कार्रवाई के संबंध में शपथ-पत्र प्रस्तुत किया था। युगलपीठ ने ग्वालियर तथा इंदौर खंडपीठ में लंबित नर्सिंग कॉलेज संबंधित याचिकाओं को मुख्यपीठ स्थानांतरित करने के आदेश जारी किए थे।
याचिका पर बुधवार को याचिकाओं पर संयुक्त रूप से हुई सुनवाई के दौरान अनावेदक कॉलेज की तरफ बताया गया कि ग्वालियर खंडपीठ ने प्रदेश के 650 मेडिकल कॉलेजों में से 364 कॉलेजों की सीबीआई के आदेश जारी किए थे। सीबीआई जांच में जिन कॉलेजों को क्लीन चिट प्रदान की गई है। उनके एग्जाम करवाए जाने की अनुमति प्रदान की जाए। याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क किया गया कि फैक्टरी के संबंध में सीबीआई ने जांच नहीं की है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। विस्तृत आदेश प्रतिक्षित है।