MP NEWS: PCC चीफ बोले कर्ज लेकर घी में नहाने की नई परंपरा शुरू करने वाली बीजेपी सरकार की एक और बड़ी उपलब्धि

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Mon, 08 Jul 2024 07: 26 PM IST

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने एमपी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कैग  की रिपोर्ट पर कहा कि कर्ज लेकर घी में नहाने की नई परंपरा शुरू करने वाली बीजेपी सरकार की एक और बड़ी उपलब्धि।

  pcc chief jeetu patwari – फोटो : amar ujala

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 पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सरकारी उपक्रमों (पीएसयू)के घाटे को लेकर कैग की रिपोर्ट पर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने  अपने सोशल साइट एक्स पर लिखा है कि कर्ज लेकर घी में नहाने की नई परंपरा शुरू करने वाली बीजेपी सरकार की एक और बड़ी उपलब्धि सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट के जरिए पब्लिक डोमेन में यह तथ्य आया है कि भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने मप्र सरकार को अपने सरकारी उपक्रमों (पीएसयू) की बदहाल स्थिति को लेकर कड़ी नसीहत दी है।

कामकाज की गंभीरता से समीक्षा करे सरकार

पटवारी लिखा कि प्रदेश के 41 निष्क्रिय और भारी घाटे वाले पीएसयू को लेकर कैग ने राज्य सरकार के मॉनिटरिंग मॉडल को कटघरे में खड़े करते हुए कहा है कि सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के बजाए इनके कामकाज की गंभीरता से समीक्षा करे, या तो इन्हें बंद कर दे या फिर इनके पुनरुद्धार के लिए कदम उठाए। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश शासन के 74 पीएसयू हैं। इनमें से 61 सरकारी हैं। इन सभी में 41 पीएसयू ऐसे हैं, जो निष्क्रिय हैं। यहां भी चौंकाने वाला सच यह है कि कुछ 3 साल से तो कुछ 33 साल से निष्क्रिय हैं। सर्वाधिक घाटे वाले उपक्रमों में मप्र की तीनों विद्युत वितरण कंपनियां हैं।

सरकार के 21 ऐसे पीएसयू ने कई सालों से नहीं करवाया ऑडिट

पीसीसी चीफ पटवारी ने आगे कहा कि प्रदेश सरकार के 21 ऐसे पीएसयू हैं, जिन्होंने पिछले कई सालों से अपना ऑडिट ही नहीं करवाया है। ये ऑडिट पिछले 3 से लेकर 33 साल से लंबित है। इनमें मप्र पर्यटन बोर्ड, लघु उद्योग निगम, नागरिक आपूर्ति निगम, राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड, कृषि उद्योग विकास निगम, सागर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज.सूची में दर्ज नाम यहीं खत्म नहीं हो रहे हैं। मप्र व महाराष्ट्र खनिज-रसायन लिमिटेड, मप्र सड़क परिवहन निगम, मप्र सड़क विकास निगम, पुलिस हाउसिंग एंड इंफ्रा स्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन, संत रविदास हस्तशिल्प व हथकरघा विकास निगम लिमिटेड, औद्योगिक विकास निगम, द प्रोवीडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड, मप्र पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम भी कैग की कलम के निशाने पर है।


आर्थिक अनियमितताओं की अंधेरनगरी

पटवारी ने लिखा कि कैग ने मप्र आदिवासी वित्त विकास निगम, मप्र वेंचर फाइनेंस लिमिटेड, मप्र वेंचर फाइनेंस ट्रस्टी लिमिटेड, मप्र पंचायती राज वित्त एवं ग्रामीण विकास निगम लिमिटेड, मप्र फिल्म विकास निगम, ऑप्टेल टेलीकम्युनिकेशन लिमिटेड, मप्र विद्युत संयंत्र लिमिटेड को लेकर भी इसी प्रकार की टिप्पणी की है। कैग रिपोर्ट के जरिए सामने आया तथ्यात्मक सच सवाल पूछ रहा है कि ऑडिट क्यों नहीं हुआ। क्या यहां भी आर्थिक अनियमितताओं की अंधेरनगरी बसी हुई है, जिसको लेकर मुखियामौन है। कर्ज लेकर घाटे के ऐसे लग्जरी एक्सपेरिमेंट क्यों किया जा रहे हैं। सरकार की अनुमति से हो रहे इस घृत-स्नान की सीधे तौर पर जिम्मेदारी भी तो सरकार की ही है। यह सरकार की समीक्षा के दायरे में कब आएंगे।

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