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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव-2023 के लिए भाजपा की दूसरी सूची अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 25 सितंबर के भोपाल दौरे के बाद आने की संभावना है। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद से सूची का इंतजार किया जा रहा है। इस बार भाजपा प्रबंधन और प्रचार के लिए नई रणनीति बना कर का काम कर रही है। लाडली बहना योजना और जन आशीर्वाद यात्रा को मिल रहे समर्थन से पार्टी आत्मविश्वास से भरी दिखाई दे रही है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही पार्टी ने प्रचार का आधा काम पूरा कर लिया है। हारी सीटों में से 39 पर पहले ही प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई है। सबसे बड़ी बात पार्टी टिकट को लेकर अपने फैसलों पर अडिग दिखाई दे रही है।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही विपक्षी पार्टी पर मानसिक दबाव बनाने के लिए नई रणनीति के तहत काम किया। लगातार बैठक कर केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं के साथ ही संगठन के पदाधिकारियों को सक्रिय किया। इसके साथ ही भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा में एक दर्जन से ज्यादा केंद्रीय नेताओं के साथ तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मैदान में उतार दिया। इस बार पार्टी ने चुनावी खर्च बहीखाता खुले उससे पहले ही प्रचार का आधा काम पूरा कर लिया है।
हारी 39 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा
भाजपा पिछले चुनाव में हारी 103 सीटों को जीतने के लिए लंबे समय से काम कर रही है। इनमें से 39 सीटों पर प्रत्याशियों का पहले ही एलान कर दिया, ताकि उनको प्रचार प्रसार करने का ज्यादा से ज्यादा समय मिल सके। वहीं, पार्टी की दूसरी सूची भी तैयार है। इसको भोपाल में 25 सितंबर को होने वाले कार्यकर्ता महाकुंभ के बाद पार्टी कभी भी जारी कर सकती है। पार्टी वर्तमान विधायक और मंत्रियों की सीटों पर फैसला अंतिम दौर में करेगी।
कमजोर पक्ष को मजबूत करने पर फोकस
भाजपा ने इस बार 2018 की गलतियां ना दोहराने के लिए तैयारी की है। अपने कमजोर पक्ष को मजबूत करने पर भी पूरा फोकस लगाया। इसके लिए सबसे ज्यादा आदिवासी वर्ग को साधने के लिए कार्यक्रम किए। प्रदेश में पिछले एक-डेढ़ साल से केंद्रीय नेता से लेकर संगठन के पदाधिकारी सक्रिय हो गए। बता दें, पिछले चुनाव में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 में से सिर्फ 16 सीटें भाजपा को मिली थी। यहीं, वजह है कि भाजपा के हाथ से सत्ता चली गई थी। भाजपा ने कमजोर पक्ष को मजबूत करने पर फोकस किया।
अपने फैसलों पर अटल भाजपा
पार्टी के प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के बाद कई सीटों पर विरोध शुरू हो गया था। स्थानीय नेता और पूर्व जनप्रतिनिधि प्रत्याशियों को बदलने की मांग को लेकर पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए और पार्टी छोड़ने तक की चेतावनी दे दी। इसके बावजूद पार्टी के नेता अपने फैसले पर अडिग रहे। वहीं, पार्टी में नाराज और असंतुष्ट नेताओं को मनाने के लिए पार्टी ने बहुत पहले प्रयास शुरू कर दिए। कुछ नेता फिर भी पार्टी छोड़कर चले गए। हालांकि, पार्टी की तरफ से कहा गया कि जाने वालों का कोई जनाधार नहीं है।
पिछली बार छह अक्तूबर को लगी थी आचार संहिता
मध्य प्रदेश समेत पांच राज्यों में इस बार चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। पिछली बार विधानसभा चुनाव की आचार संहिता छह अक्तूबर को लगी थी। इस बार भी प्रदेश में अक्तूबर माह के दूसरे सप्ताह में आचार संहिता लगने की बात कही जा रही है।