न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: दिनेश शर्मा Updated Thu, 01 Aug 2024 08: 41 AM IST
बीते जुलाई माह में प्रदेश में अच्छी बारिश हुई है। जुलाई के 31 दिनों में 14.27 इंच पानी गिरा है। वहीं प्रदेश में अभी तक 18.8 इंच गिर चुका है, यानी 50.40 प्रतिशत बारिश हो चुकी है। अगस्त में भी ऐसे ही बारिश की संभावना जताई जा रही है। एमपी में बारिश – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश में एक बार फिर मजबूत सिस्टम सक्रिय हुआ है। इससे अगले चार दिन पूरे प्रदेश में जोरदार बारिश की संभावना जताई जा रही है। कई जिलों में अलर्ट जारी किया गया है।
बता दें कि बीते जुलाई माह में प्रदेश में अच्छी बारिश हुई है। जुलाई के 31 दिनों में 14.27 इंच पानी गिरा है। वहीं प्रदेश में अभी तक 18.8 इंच गिर चुका है, यानी 50.40 प्रतिशत बारिश हो चुकी है। अगस्त में भी ऐसे ही बारिश की संभावना जताई जा रही है। अगस्त के पहले ही दिन प्रदेश में स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव होकर अगले 4 दिन तक बना रहेगा।
मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे के लिए अलर्ट किया है। जिसके अनुसार पूर्वी हिस्से जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग के 22 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। पश्चिमी हिस्से भोपाल, इंदौर, उज्जैन, नर्मदापुरम, ग्वालियर-चंबल में कहीं हल्की तो कहीं तेज बारिश का अनुमान है। भोपाल, सागर, जबलपुर, नर्मदापुरम, ग्वालियर और चंबल संभाग के 19 जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट है।
आईएमडी भोपाल की सीनियर वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि अभी दो ट्रफ और दो साइक्लोनिक सर्कुलेशन एक्टिव हैं। 1 अगस्त से सिस्टम और स्ट्रॉन्ग होगा। पूर्वी हिस्से में असर ज्यादा रहेगा। 2 और 3 अगस्त को भी तेज बारिश वाला सिस्टम रहेगा। मानसून द्रोणिका औसत समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर तक फैली हुई है और जैसलमेर, जयपुर, ग्वालियर, सतना, जमशेदपुर से होकर पूर्व-दक्षिणपूर्व की ओर उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी तक जा रही है। हिमाचल प्रदेश और आसपास के इलाकों में औसत समुद्र तल से 3.1 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। झारखंड और आसपास के इलाकों में औसत समुद्र तल से 3.1 और 7.6 किमी ऊपर दक्षिण की ओर झुका हुआ चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। पूर्वोत्तर असम और आसपास के इलाकों में औसत समुद्र तल से 1.5 और 3.1 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। बांग्लादेश और आसपास के इलाकों में औसत समुद्र तल से 3.1 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। पूर्वोत्तर अरब सागर और उससे सटे सौराष्ट्र में दक्षिण की ओर झुकाव के साथ चक्रवाती परिसंचरण मौजूद है। वहीं दक्षिण गुजरात से केरल तक एक अपतटीय द्रोणिका भी बनी हुई है।
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