Sagar News: बीएमसी के डॉ. की पहल, अपनी तनख्वाह से वार्ड का रिनोवेशन कराया, लोग कर रहे तारीफ

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सागर Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Sun, 24 Sep 2023 03: 51 PM IST

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सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में पदस्थ एक डॉक्टर की अनोखी पहल सामने आई है, जिसकी सराहना चारों तरफ हो रही है। BMC के चेस्ट विभाग के HOD के पद पर डॉ. ताल्हा शाद पदस्थ कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी तनख्वाह के पैसे से वार्ड का रिनोवेशन कराया गया है। रिनोवेशन के बाद वार्ड – फोटो : अमर उजाला

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बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के कई वार्डों की हालत बद से बदतर है। जहां इलाज करने वाले मरीजों को कई असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही एक विभाग था चेस्ट विभाग यहां पर इलाज करने आने वाले मरीजों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता था। इसको देखकर डॉक्टर के मन में विचार आया और डॉक्टर ने अपनी तनख्वाह से वार्ड का रिनोवेशन करा दिया। डॉक्टर का कहना है कि अस्पताल में इलाज तो सभी करते हैं, लेकिन जो भी मरीज अपना इलाज कराने आता है या उसे वार्ड में भर्ती किया जाता है तो वह शरीर के साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना चाहिए। ऐसा केवल दावों से नहीं होता है, इसके लिए जहां पर वह आया है वहां की व्यवस्थाओं पर भी निर्भर करता है। इसलिए मेरी कोशिश है कि कोई भी पेशेंट सरकारी अस्पताल में पहुंचता है, तो उसे इस चीज का एहसास नहीं होना चाहिए, उसे लगे कि वह किसी अच्छी जगह पर अपना उपचार करने के लिए आया है।

वॉर्ड में खराब पड़े टॉयलेट, टाइल्स, दीवारों की सीलन को कराया ठीक

डॉ. ताल्हा शाद ने बीएमसी के चेस्ट विभाग का जैसे ही चार्ज संभाला सबसे पहले उन्होंने वार्ड का रिनोवेशन का काम कराया। सबसे पहले फर्श के टाइल्स ठीक कराए गए, दीवारों में जो सीलन आ गई थी, उन में रिपेयरिंग कर पुट्टी करवाई गई। पेंट करवाया गया है, पंखे जो खराब हो गए थे उनमें सुधार कार्य करवाया है। खिड़कियों के कांच ठीक करवाए। साफ सफाई करवाई और पर्दे भी डलवाए गए हैं। इस वार्ड की बाथरूम में जो नल खराब हो गए थे। टॉयलट की सीट खराब हो गई थी, उनकी प्लंबिंग का कार्य कराया गया जो दरवाजे क्षतिग्रस्त हो गए थे, उन सभी को ठीक कराया गया। वहीं इसके अलावा उन्होंने ओपीडी के कक्ष में भी एलईडी टीवी की व्यवस्था, बैठने के लिए चेयर और टेबल की व्यवस्था, बड़े-बड़े गमले में पौधे भी लगाकर ओपीडी में रखे गए हैं। 

तीन लाख से अधिक का किया खर्च

टीबी एवं चेस्ट विभाग के प्राध्यापक और विभाग अध्यक्ष डॉक्टर ताल्हा शाद ने बताया कि जब कोई मरीज भर्ती होता है और इस तरह की चीज देखता है तो वह मानसिक रूप से अच्छा महसूस नहीं करता है, जिसकी वजह से जब कोई इलाज करता है तो उसे ठीक होने में समय लगता है, लेकिन जब वह सरकारी अस्पताल में भी भर्ती हो और उसे ऐसा लगे कि वह अच्छे हॉस्पिटल में है, तो वह दुगनी रफ़्तार से ठीक होता है। इसलिए उन्होंने यहां पर फर्नीचर, डेंटिंग-पेंटिंग से लेकर जो भी काम था वह सब कराया है।

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