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टीकमगढ़ शहर में रामबाग से प्रसिद्ध यह स्थान कभी रियासत काल में डिस्टलरी के लिए विख्यात था। जहां पर अंग्रेजी के साथ-साथ देसी शराब का निर्माण किया जाता था। जो स्पेशल अंग्रेज अधिकारियों के साथ-साथ बुंदेलखंड के राजाओं की सबसे पसंदीदा शराब थी। टीकमगढ़ के सीनियर पत्रकार राजेंद्र अधर्व्यू कहते हैं कि सन 1930 में जब टीकमगढ़ रियासत के राजा वीर सिंह मुंबई गए तो उनकी मुलाकात वहां पर शराब के कारोबारी सेठ जहांगीर से हुई। उन्होंने जहांगीर को टीकमगढ़ चलकर डिस्टलरी लगाने का सुझाव दिया क्योंकि सेठ जहांगीर की मुंबई और गुजरात में उस समय डिस्टलरी चल रही थी। राजा से अनुबंध होने के बाद सेठ जहांगीर 1930 में टीकमगढ़ आ गए और राजा ने यहां पर उन्हें रामबाग में डिस्टलरी लगाने के लिए जगह दे दी।
8 एकड़ में बनी थी शराब डिस्टलरी
जिसका क्षेत्रफल 8 एकड़ था। टीकमगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज बाबू चौबे कहते हैं कि टीकमगढ़ रियासत में महुआ के पेड़ सबसे अधिक थे और वर्तमान में भी है। इसके साथ ही यहां पर तरबूज और खरबूज की खेती सबसे ज्यादा होती है। जिसके चलते टीकमगढ़ के तत्कालीन शासक वीर सिंह ने सेठ जहांगीर से अनुबंध किया और रामबाग में शराब बनाने की डिस्टलरी लगा ली। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी शराब को खरबूज और तरबूज से बनाया जाता था। जबकि देसी शराब महुआ के फूल से बनती थी। जो काफी प्रसिद्ध थी।
टीकमगढ़ में पढ़े नरीमन कॉन्टैक्टर
क्रिकेट टीम के बाय हाथ के बल्लेबाज नरीमन कॉन्टैक्टर की प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा टीकमगढ़ में हुई है। टीकमगढ़ के सीनियर पत्रकार राजेंद्र कहते हैं कि जिस समय उनके पिता ने टीकमगढ़ में शराब फैक्ट्री डाली थी। उस समय नरीमन की उम्र बहुत छोटी थी। इसके बाद उनकी प्राथमिक शिक्षा टीकमगढ़ शहर के नजरबाग में हुई। यह पारसी थे जो राजा के अनुबंध पर टीकमगढ़ आए थे। राज परिवार के सदस्यों के साथ उनके मधुर संबंध थे। इतना ही नहीं नरीमन टीकमगढ़ शहर के डोंगा ग्राउंड में राज परिवारों के राजकुमारों के साथ क्रिकेट भी खेला करते थे।
2018-19 में बेच दिया रामबाग को
वर्ष 2018-19 में इस रामबाग को नरीमन कॉन्टैक्टर ने टीकमगढ़ आकर बेच दिया, जिस पर अब टीकमगढ़ राज परिवार के सदस्य का कब्जा है, लेकिन अब डिसलरी के नाम पर कुछ बिल्डिंग के अवशेष बचे हुए हैं। डिसलरी की यह कहानी अब इतिहास के सुनहरे पन्नों पर दर्ज हो गई हैं।
फलक शेर के नाम से बनती थी शराब
राज परिवार के सदस्य विश्वजीत सिंह ने बताया कि सेठ जहांगीर के द्वारा लगाई गई इस शराब फैक्ट्री में फलक शेर के नाम से शराब बनती थी, जो बुंदेलखंड ही नहीं बल्कि गुजरात और महाराष्ट्र भी भेजी जाती थी। उन्होंने बताया कि फलक शेर शराब की क्वालिटी जॉनी वॉकर रेड लेवल की रैंक की होती थी, जो बहुत स्मूथ हुआ करती थी जिसके टीकमगढ़ महाराज दीवाने थे।