जीवन प्रबंधन पर कार्यशाला – फोटो : अमर उजाला
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उज्जैन पुलिस कंट्रोल रूम में एक दिवसीय संभाग स्तरीय अभियोजन कार्यशाला आयोजित की गई। यह कार्यशाला इस्कॉन मंदिर के बृजेन्द्र कृष्ण प्रभु जी ने जीवन प्रबंधन विषय पर आयोजित की। कार्यशाला को संबोधित करते हुए इस्कॉन मंदिर के बृजेन्द्र कृष्ण प्रभु जी ने कहा कि हमारी जीवन शैली में श्रीमद् भगवत गीता के सिद्धांत से अगर हम परिवर्तीन लाते हैं तो इससे हमारा जीवन खुशहाल और सकारात्मक होगा।
उन्होंने कहा, श्रीमद् भगवत गीता कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है। बल्कि यह हमारे जीवन जीने की पद्धति है। श्रीमद् भगवत गीता के 14वें 17वें और 18वें चैप्टर में प्रकृति के तीन गुण सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण के बारे में बताया गया है। यह तीनों गुण हम सभी के अंदर विराजमान हैं। अगर हम अपने जीवन में सतोगुण बढ़ाते हैं और रजोगुण और तमोगुण कम करते हैं तो हमारे जीवन में सकारात्मक बढ़ेगी। हमारे अंदर आंतरिक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ेगा।
स्वामी जी ने बताया कि जितने भी अपराध संसार में घटित हो रहे हैं, वह तीन प्रकार के हैं। पहले भ्रष्टाचार दूसरा अवैध यौनाचार और हिंसात्मक अपराध हैं। इन तीनों श्रेणी में ही हम 99 प्रतिशत अपराध को शामिल करते हैं। भ्रष्टाचार अपराध का मूल कारण अनियंत्रित लोभ करना। अवैध यौनाचार अपराध का कारण मन में अत्यधिक कामवासना वहीं हिंसात्मक अपराध का कारण अत्यधिक क्रोध करना है।
भगवत गीता में बताया गया है कि किस तरह काम और क्रोध रजोगुण से उत्पन्न होते हैं और यही मानव के सबसे बड़े बेरी हैं। इसी प्रकार से भगवत गीता में सभी समस्याओं के समाधान दिए गए हैं। अगर व्यक्ति चेतना के स्तर और विकास करते हुए अपने आप को काम, क्रोध और लोभ से ऊपर उठा पाए तो हमारे अंदर की जो भी छोटी और बड़ी आपराधिक प्रवृत्तियां हैं, सभी का नाश हो जाएगा। हम सभी एक उत्साहित जीवन जी पाएंगे और दूसरे के जीवन को भी उत्साहित कर पाएंगे। इस तरह से श्रीमद् भगवत गीता हमें एक खुशहाल जीवन जीने की सलाह देती है।