Women’s Reservation Bill : संसद के विशेष सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा ने महिला आरक्षण से जुड़े ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंजूरी दे दी. सदन में कांग्रेस, राजद, जदयू, सपा, टीएमसी, डीएमके, शिअद, बीजद समेत सभी विपक्षी दलों ने विधेयक का सशर्त समर्थन किया. हालांकि, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने विधेयक का विरोध किया. सदन में एआइएमआइएम के दो सदस्य हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में विधेयक का समर्थन किया, लेकिन कहा कि इसमें ओबीसी की महिलाओं के लिए अलग आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए, क्योंकि इसके बिना यह विधेयक अधूरा है.
उन्होंने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के प्रावधान वाले ‘संविधान (128संशोधन) विधेयक, 2023’ पर निचले सदन में चर्चा में भाग लेते हुए सरकार से यह आग्रह किया कि तत्काल जातीय जनगणना करायी जाए और यूपीए सरकार के समय हुई जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किये जाएं. वहीं, जदयू के सांसद राजीव रंजन सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है, क्योंकि हम महिला सशक्तीकरण में विश्वास रखते हैं, लेकिन यह सरकार का 2024 का चुनावी जुमला है. वहीं, राजद, सपा, बसपा समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी ओबीसी महिलाओं के लिए सीट आरक्षित करने की मांग की.
मुस्लिम महिलाओं को भी मिले लाभ : मोइत्रा
टीएमसी की महुआ मोइत्रा ने कहा कि इस सदन में केवल दो मुस्लिम महिला सदस्य हैं और वह भी हमारी पार्टी से हैं. उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की. कहा कि प्रस्तावित अधिनियम 2024 में लागू होने की बात तो दूर, बल्कि 2029 में भी लागू हो सकेगा या नहीं, इसे लेकर भी आशंका है. इस पर भाजपा सदस्य स्मृति ईरानी ने कहा कि विपक्ष के जो सदस्य मुस्लिम महिलाओं को आरक्षण दिये जाने की मांग कर रहे हैं, उन्हें मालूम होना चाहिए कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण वर्जित है.
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ओबीसी कोटा नहीं होने से बिल अपूर्ण
विधेयक का समर्थन करता हूं. मेरी नजर में ओबीसी कोटा नहीं होना इस विधेयक को अपूर्ण बनाती है. मैं चाहता हूं कि इस विधेयक में ओबीसी आरक्षण को शामिल किया जाना चाहिए था. यह बहुत जरूरी है कि भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से, महिलाओं के बड़े हिस्से की आरक्षण तक पहुंच होनी चाहिए.
– राहुल गांधी, कांग्रेस सांसद
विपक्ष के गठबंधन पर सरकार का ‘पैनिक रिएक्शन’, यह सरकार का चुनावी जुमला
हमारी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है, क्योंकि हम महिला सशक्तीकरण में विश्वास रखते हैं. लेकिन, यह सरकार का 2024 का चुनावी जुमला है. यह विधेयक कुछ और नहीं, बल्कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का ‘पैनिक रिएक्शन’ है. आप सत्ता का वंदन कर रहे हैं. इस सरकार को महिला सशक्तीकरण से कोई मतलब नहीं, बस उसे 2024 में सरकार बचाने की चिंता है.
– राजीव रंजन सिंह, जदयू सांसद
जिन देशों में महिला सांसद अधिक, वहां दलों के भीतर आरक्षण की व्यवस्था
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के एक विश्लेषण के अनुसार, जिन देशों में महिला सांसदों की संख्या अधिक है, वहां कोटा अनिवार्य करने वाला कोई कानून नहीं है, लेकिन राजनीतिक दलों के भीतर आरक्षण की व्यवस्था है. स्वीडन की संसद में 46% जनप्रतिनिधि महिलाएं हैं. वहीं, नॉर्वे में 46%, दक्षिण अफ्रीका में 45%, ऑस्ट्रेलिया में 38%, फ्रांस में 35% और जर्मनी में 35% महिला सदस्य हैं. हालांकि, इन देशों में महिलाओं के लिए आरक्षण का कोई कानून नहीं है. वहीं, बांग्लादेश में कानून है. यहां की संसद में 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं.
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महिला आरक्षण विधेयक पर सभी दलों के एक साथ आने की उम्मीद : यूएन
संयुक्त राष्ट्र ने उम्मीद जतायी है कि भारत में महिला आरक्षण विधेयक का समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सभी राजनीतिक दल एक साथ आयेंगे, क्योंकि नीतियों और राजनीति में लैंगिक आधार पर आरक्षण दिया जाना समानता और महिलाओं के अधिकारों के लिहाज से महत्वपूर्ण है. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ‘यूएन वुमेन’ ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने से भारत उन 64 देशों में शामिल हो जायेगा, जिनकी संसदों में महिलाओं के लिए आरक्षण है.
ओबीसी के लिए कोटा हो : चिराग
भाजपा की सहयोगी पार्टी लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने लोकसभा में महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक का समर्थन किया और सरकार से आग्रह किया कि इस विधेयक में एससी/एसटी और ओबीसी की महिलाओं के लिए कोटे का प्रावधान किया जाए. कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा विश्वास है कि ओबीसी वर्ग की महिलाओं को अधिकार मिलेगा. उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि इस कानून को बेहतर बनाने की आड़ में विधेयक को लटकाया गया.
सोनिया पर तंज, ‘अपना विधेयक’ कह श्रेय लेने की होड़
सफलता के कई रहनुमा होते हैं, लेकिन विफलता का कोई नाम लेने वाला नहीं होता है. इसलिए जब विधेयक लाया गया, तो कुछ लोगों (सोनिया गांधी) ने इसे ‘अपना विधेयक’ बताया. कुछ लोग कह रहे हैं कि ये विधेयक हमारा है. कुछ लोग कह रहे हैं कि हमारी चिट्ठी की वजह से विधेयक आया है.
– स्मृति ईरानी, केंद्रीय मंत्री
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ओवैसी ने किया विधेयक का विरोध
एआइएमआइएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक का विरोध किया. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संसद में सिर्फ ‘सवर्ण महिलाओं’ का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है और उसे ओबीसी एवं मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की चिंता नहीं है. उन्होंने दावा किया कि यह विधेयक समावेशी नहीं है और यह कुछ खास लोगों के लिए है. उन्होंने सवाल किया कि ओबीसी और मुस्लिम समुदायों के लिए आरक्षण का प्रावधान क्यों नहीं किया गया?